इस ब्लाग की सभी रचनाओं का सर्वाधिकार सुरक्षित है। बिना आज्ञा के इसका इस्तेमाल कापीराईट एक्ट के तहत दडंनीय अपराध होगा।

Thursday, February 17, 2011

अलविदा





नई दुनिया और नए लोग मुबारक हो तुम्हे
खुशियों की नई सुबह मुबारक हो तुम्हे।
ऑंसुओं के रूप कई तरह के होते है
हम खुश हैं इसलिए तो रोते है।
अश्कों से अपना नाता पुराना है
भरी-भरी आँखों के साथ हमें मुस्कुराना है।
गम और मैं बचपन से साथी है
खुशियाँ क्या है बस आती और जाती है।
कभी गमों का साया तेरे करीब न आए,
हर वक्त खुश रहे तू और सदा मुस्कुराए।
और क्या लिखँू ज्यादा लिख नही पाऊगाँ
बहुत देर से रोके बैठा हूँ अश्कों को
अब और नहीं रोक पाऊगाँ।
अश्क गिरे पन्नों पर तो अक्षर बिखर जाएगें
रोते हुए हम आपको अलविदा भी न कह पाएगें।

18 comments:

  1. अश्क गिरे पन्नों पर तो अक्षर बिखर जाएगें
    रोते हुए हम आपको अलविदा भी न कह पाएगें।
    kya baat hai! aamin.

    ReplyDelete
  2. अश्क गिरे पन्नों पर तो अक्षर बिखर जाएगें
    रोते हुए हम आपको अलविदा भी न कह पाएगें।
    बहुत भावमय मार्मिक अभिव्यक्ति है। शुभकामनायें।

    ReplyDelete
  3. वाह ! अमित जी..
    इस कविता का तो जवाब नहीं !

    ReplyDelete
  4. अमित भाई
    बडी भावुक रचना रची है आपने, पढते पढते कही खो गया था।
    बहुत बहुत बहुत बधाई
    इस सुन्दर सी रचना के लिए

    ReplyDelete
  5. आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (19.02.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.uchcharan.com/
    चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)

    ReplyDelete
  6. अश्क गिरे पन्नों पर तो अक्षर बिखर जाएगें
    रोते हुए हम आपको अलविदा भी न कह पाएगें।

    बहुत सुंदर लिखा है -
    बधाई

    ReplyDelete
  7. बेहद भावनात्मक रचना

    ReplyDelete
  8. कविता ख़ूबसूरत है..
    आपका धन्यवाद...

    ReplyDelete
  9. वाह साहब ... आप तो दिल चीर के रख दिए हैं ... बहुत सुन्दर रचना !

    ReplyDelete
  10. 'अश्कों से अपना नाता पुराना है
    भरी -भरी आँखों के साथ हमें मुस्कुराना है '
    भाई अमितजी ,
    बहुत भावपूर्ण , यही तो जिंदगी है |

    ReplyDelete
  11. अश्कों से अपना नाता पुराना है
    भरी-भरी आँखों के साथ हमें मुस्कुराना है।
    गम और मैं बचपन से साथी है
    खुशियाँ क्या है बस आती और जाती है।

    बहुत मार्मिक लेखन है आपका यक़ीनन.

    ReplyDelete
  12. खुशियों और गमों का स्वभाव है कि वे आती जाती रहती हैं।
    और यही तो जीवन है।

    ReplyDelete
  13. बहुत भावपूर्ण , यही तो जिंदगी है |

    ReplyDelete
  14. अश्क गिरे पन्नों पर तो अक्षर बिखर जाएगें
    रोते हुए हम आपको अलविदा भी न कह पाएगें।
    ...bahut sundar bhavuktapurn prastuti..

    ReplyDelete
  15. अलविदा कहने का अंदाज़ पसंद आया.
    सलाम.

    ReplyDelete