ऐसा लगता है कि तुम्हें जानता हूं मैं
तेरी मदभरी आंखों से
तेरे कोमल हाथों के स्पर्श से
एक लहर दौड़ जाती है
मेरे नस-नस में शरारों सी।
ऐसा लगता है कि तुम्हें जानता हूं मैं
एक अरसे से पहचानता हूं मैं।
मेरी दुनिया यूं तो सुनसान थी
मेरे दिल की बस्ती वीरान थी
तेरी मुस्कान ने उसमें एक फूल खिलाया था
तेरी सादगी ने मुझे जीना सिखाया था।
तेरी हरेक अदा को पहचानता हूं मैं
ऐसा लगता है कि तुम्हें जानता हूं मैं।
अचानक मेरी आंख खुली और
देखा ये तो एक ख्वाब था
चारों तरफ बिखरी थी कुछ यादें
अपने साथ लेकर फिर से चला मैं
जो कुछ भी मेरा अपना था।
फिर से देखा मैंने तुम्हें
एक शजर के साये में
यूं लगा जैसे
तुम भी इसी भीड़ का हिस्सा हो।
याद रखूंगा तुम्हें क्योंकि
तुम मेरे अतीत का किस्सा हो।
पूछूंगा मैं एक दिन खुदा से कि
तुमने ऐसी चीज क्यों बनाई है
कैसे करूं वफा इनसे
जिनका नाम ही बेवफाई है।